10 हेक्टेयर से कम क्षेत्र वाले जंगलों को वन न मानने का मामला पहुंचा हाईकोर्ट, सरकार से मांगा जवाब

हाईकोर्ट ने दस हेक्टेयर से कम क्षेत्र में फैले या 60 प्रतिशत से कम घनत्व वाले वनों को वन नहीं मानने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य और केंद्र सरकार को दो जनवरी तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। 


 

 मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष नैनीताल निवासी विनोद कुमार पांडे की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि 21 नवंबर 2019 को उत्तराखंड के वन एवं पर्यावरण अनुभाग ने वन क्षेत्र के संबंध में एक आदेश जारी किया जिसमें कहा गया कि उत्तराखंड में दस हेक्टेयर से कम या 60 प्रतिशत से कम घनत्व वाले वन क्षेत्र को वन नहीं माना जा सकता है।

याचिकाकर्ता का कहना था कि सरकार ने यह आदेश अपने लोगों को फायदा देने के लिए जारी किया है। याची के अनुसार फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट 1980 के अनुसार प्रदेश में 71 प्रतिशत वन क्षेत्र घोषित है। इसमें वनों की श्रेणी को भी विभाजित किया हुआ है।

इसके अलावा कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जिनको किसी भी श्रेणी में घोषित नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से इन क्षेत्रों को भी वन क्षेत्र की श्रेणी में शामिल करने की प्रार्थना की गई है जिससे इन क्षेत्रों के वनों के दोहन या कटान पर रोक लग सके। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राज्य व केंद्र सरकार को दो जनवरी तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए।